झंकार

हमारी संस्कृति ही हमारी जान है, हिंदी हमारे एक होने की पहचान है। "झंकार" हिंदी छात्र संघ "दर्पण" द्वारा आयोजित किया जाने वाला एक त्यौहार है जिसमें हमारी संस्कृति और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मशहूर कवियों को महफिल के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस तीन दिन के त्यौहार में हम मुख्यत: सांस्कृतिक प्रतियोगताओं को आयोजित करते है।
गूंज

साहित्य तथा काव्य की आभा को प्रकाशित करने के मकसद से हिंदी छात्र संघ दर्पण प्रस्तुत करता है एक सुनहरी रसमयी, काव्यमयी शाम, "गूँज", जहां लफ्ज़ों की हलचल हम सभी के दिल की खामोशियां तक अपना मधुर संदेश पहुंचाएगी। "गूँज" हिंदी छात्रसंघ दर्पण द्वारा आयोजित की जाने वाली एक अनोखी शाम हैं जिसमें आप सभी को मशहूर कवियों के साथ जुड़ने और उनकी कविताएं सुनने का अवसर मिलता है।
चाय पे चर्चा

सर्दी की इन शामों में चाय का अपना अलग ही मजा है और जब साथ में दोस्त, यार हो तो वो समाँ दुगनी हो जाती है। आपसी चर्चाएं , वो वाद-विवाद, यही छोटी छोटी यादें हमारे दिल में रह जाती हैं। चाय पे चर्चा , हिंदी छात्रसंघ दर्पण के द्वारा आयोजित की जाने वाली एक ऐसीही शाम है जिसमें आप अपने दोस्तों के साथ बैठकर चर्चित विषयों पर चर्चा करते हैं।
प्रहेलिका

कहते हैं कि अपनी जड़ों से जुड़ा रहना चाहिए और हिंदी भाषा हमारी संस्कृति की वही जड़ है। इस आधुनिक भारत के लोग बढ़ते समय के साथ अपनी मात्र भाषा को भूलते जा रहे हैं। हिंदी भाषा को अगर हम सही मायनों में सम्मान देना चाहते हैं तो हमें अपनी भाषा पर सदैव गर्व करना होगा। हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिंदी छात्र संघ दर्पण आप सभी के लिए एक अनोखा अवसर "प्रहलिका" प्रस्तुत करता है जिसमें आप सभी अपनी भाषा से और भी घनिष्ठ रूप से जुड़ सकते हैं।
अर्ज किया है

हर इंसान के पास एक कहानी है,बस कोई सुनने वाला चाहिए ... हर व्यक्ति के अंदर एक लेखक है, बस एक कलम देने वाला चाहिए... यही कलम देने का काम हिंदी छात्र संघ "दर्पण" परिवार "अर्ज किया है" के प्रारूप में करता है जिसमें हम नए कवियों को एक मंच प्रदान करते हैं जहां वो अपने हुनर एवं प्रतिभा को सभी के सामने प्रस्तुत करते हैं।